लखनऊ,17 जुलाई 2023। अगले साल 2024 में होने वाले लोकसभा चुनाव के लिए उत्तर प्रदेश में अभी से सियासी हलचल तेज हो गई है। बड़ी पार्टियां छोटे-छोटे दलों को साधने का प्रयास कर रही है तो छोटे दल भी सियासत की हरी डाली पकड़ने को तैयार है। वहीं सियासत के खेल में भाजपा बाजी मारती हुई दिखाई दे रही है। वहीं, चुनाव से पहले ओम प्रकाश राजभर के नेतृत्व वाली सुभासपा अब एनडीए के साथ आ गई है। सुभासपा का पूर्वांचल में खासा असर है। पूर्वांचल में 26 लोकसभा सीटें आती हैं, यहां पर निषाद पार्टी और अनुप्रिया पटेल की अपना दल सोनेलाल का पहले से बीजेपी के साथ गठबंधन है और अब राजभर के जुड़ने के बाद एनडीए का कुनबा और मजबूत हो गया है। बीजेपी ने पूर्वांचल का सियासी समीकरण तो साध लिया है लेकिन पश्चिमी यूपी अब भी सिरदर्द बना हुआ है। जयंत चौधरी अब भी विपक्षी खेमे के साथ दिखाई दे रहे हैं। वो बीजेपी के साथ आने को तैयार नहीं है। बीजेपी ने यूपी की सभी 80 लोकसभा सीटों को जीतने का लक्ष्य रखा है ऐसे में पार्टी उन सीटों का आंकलन कर रही है जहां पार्टी को हार का सामना करना पड़ा या फिर बहुत कम अंतर से जीत मिली थी। बीजेपी को सबसे ज्यादा नुकसान पूर्वांचल में हुआ था, लेकिन सुभासपा, निषाद पार्टी और अपना दल एस के साथ आने से एनडीए इस क्षेत्र में मजबूत स्थिति में आ गया है। ऐसे में बीजेपी की नजर अब पश्चिमी यूपी पर लगी हुई है। पश्चिमी यूपी को जाटलैंड कहा जाता है। यहां पर जयंत चौधरी की राष्ट्रीय लोक दल का खासा प्रभाव है। सूत्रों के द्वारा पता चल रहा है कि पश्चिमी यूपी के सियासी मैदान पर भाजपा अपनी फसल उगाने के लिए जयंत चौधरी को एनडीए खेमे में शामिल करने के लिए प्रयास कर रही है। इसके लिए बीजेपी के दिग्गज नेताओं को जिम्मेदारी दी है जो जयंत से संपर्क कर उन्हें अपने खेमे में लाने की कोशिश करें। राजनीतिक गलियारों में इस तरह की चर्चा तेज है कि बीजेपी ने जयंत को एनडीए के साथ गठबंधन का ऑफर दिया है.।लेकिन जयंत ऐसे तमाम कयासों को खारिज कर चुके हैं।